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हेनरी का नियम क्या है ?हेनरी नियम की सीमाएं,और अनुप्रयोग ।what is Henri's law

  • हेनरी का नियम   

सन् 1805 में ही विलियम हेनरी एक नियम प्रस्तुत किया जिसे जो निम्न प्रकार है।

नियत ताप पर किसी विलायक  निश्चित आयतन पर उस विलेय गैस का द्रव्यमान तथा उस गैस के दाब के समानुपति होता है ।

माना की नियत ताप पर किसी विलायक का  निश्चित आयतन में विलेय गैस का द्रव्यमान (m) है तथा गैस का दाब p हो तो

                         m    ∝ p 

             m  =kp (k=constant)

जब गैस की विलेयता को उसके मोल प्रभाज में व्यक्त किया जाता है  तो उस गैस का आंशिक दाब विलयन में विलेय गैस के मोल प्रभाज के समानुपाति होता है 

यदि विलयन में विलेय गैस का मोल प्रभाज 七 (चाई) तथा गैस का आंशिक दाब p हैं 


                        p ∝ 七 

                       p = kH

                      kH  =  p /


where kH = (हेनरी constant)

                        गैस का आंशिक दाब                हेनरी नियतांक =   

                         विलयन में विलेय गैस का मोल प्रभाज

        हेनरी नियम की सीमाएं

1.हेनरी नियम केवल आदर्श गैसों के मान्य होता है।

2.यह नियम कम दाब पर वास्तविक गैसों  पर लागू होता है। क्योकि कम दाब पर सभी वास्तवीक गैस आदर्श गैस की भांति व्यवहार करती है।

3.वे गैस जो विलायक में अभिकृत होकर कोई यौगिक बनाती है उनपर हेनरी का नियम लागू नहीं होता है।

4. यह नियम उन गैसों  पर लागू नहीं होता जो जल या किसी अन्य विलायक में घूलकर आयनों  में टूट जाता है।

5.ताप स्थिर या न्यूनतम होना चाहिए

6.उच्च दाब होना चाहिए


हेनरी के नियम का अनुप्रयोग

1सोडा वाटर या शीतल पेय पदार्थो में कार्बन डाई ऑक्साइड की विलेयता को बढ़ाने के लिए उच्च ताप पर कार्बन डाई ऑक्साइड गैस प्रवाहित करते है।

2. जब समुद्री गोताखोर गहरे समुद्र में जाते है तो उन्हें उच्च दाब का सामना करना पड़ता है जिससे वायु में उपस्थित ऑक्सीजन और नाइट्रोजन की रक्त में विलेयता बढ़ जाती है जब गोताखोर समुद्र की सतह पर आते है तो दाब धीरे धीरे कम होने लगता है , दाब कम होने पर रक्त में घुली ऑक्सीजन और नाइट्रोजन गैस बुलबुलों के रूप में रुधिर कोशिकाओं में एकत्रित होने लगती है जिससे रक्त के प्रवाह में रुकावट आती है यह स्थिति घातक होती है इसे बेंटस कहते है , इससे बचने के लिए वायु में काम घुलनशील गैसे जैसे हीलियम और निऑन मिलायी जाती है।

3. उच्च पहाड़ी स्थानों पर वायु में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है जिससे वायु दाब भी कम होता है जिससे  रक्त में ऑक्सीजन गैस कम मात्रा में विलेय होती है , शरीर कमज़ोर होने लगता है , स्पष्ट सोचने की क्षमता कम होने लगती है इस लक्षण को एनोक्सिया कहते है।







 


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